गुरु की महिमा अपरंपार है, गुरु पर कोई व्याख्या नहीं होती, बल्कि गुरु पर करोड़ों पुस्तकों में भी व्याख्यान कम पड़ता है. यह आज के सूत्र का आधार है कि गुरु भक्षक नहीं होता, गुरु रक्षक होता है. गुरु शिक्षा भी देता है और रक्षा भी करता है. गुरु की तुलना करना अत्यंत कठिन है. रामचरितमानस में गोस्वामी जी ने सर्वप्रथम गुरुदेव की महिमा का ही वर्णन किया है. यह भी बताया गया कि रामायण के रचयिता गोस्वामी जी नहीं, बल्कि अनंत बलवंत हनुमंत जी हैं, जिन्होंने लाखों पत्थरों पर अपने नाखूनों से रामचरितमानस लिखी थी.