एक धार्मिक प्रवचन में हनुमान जी की उत्पत्ति के विषय में विस्तार से बताते हुए उनके भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्र से हनुमान बनने के दो मुख्य कारण बताए गए: पृथ्वी पर जल तत्व की पुनर्स्थापना और त्रेता युग में रावण संहार में श्रीराम की सहायता. प्रवचन में हनुमान जी को प्रसन्न करने वाले आठ विशेष प्रसादों (पान, नारियल, गुड़-चना, इमरती, चूरमा लड्डू, केसर भात, फल, खीर) और उनके विभिन्न लाभों का भी वर्णन किया गया.