भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से पहले ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा से अमावस्या तक प्रभु बीमार रहते हैं, इस दौरान उन्हें जड़ी-बूटियों और काढ़े का भोग लगाया जाता है और भक्तों के लिए कपाट बंद रहते हैं, इस प्रक्रिया को मंदिर में अनासार कहते हैं. मान्यता है कि भगवान को जब एक सौ आठ कलशों से जल से स्नान कराया जाता है तो भक्तों की भावना है कि भगवान बीमार पड़ जाते हैं. पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर अपनी विशाल रसोई, ध्वज का उल्टा उड़ना और गर्भगृह में समुद्री गर्जना का सुनाई न देना जैसी कई अद्भुत विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है.