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Janmashtami: प्रेम के भूखे कृष्ण और गीता के अनमोल संदेश, कर्तव्य और कर्म का महत्व

जन्माष्टमी की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है, लेकिन व्रत 16 तारीख को रखने की बात कही गई है और 16 तथा 17 की रात को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा सकता है. इस चर्चा में भगवान कृष्ण के प्रति भक्तों के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डाला गया. बताया गया कि भगवान प्रेम स्वरूप हैं और प्रेम ही भगवान है. उखल बंधन लीला का उदाहरण दिया गया, जिसमें माँ यशोदा ने कृष्ण को बांधा था. यह लीला दर्शाती है कि भगवान केवल प्रेम के भूखे हैं. चर्चा में भगवद गीता के संदेशों पर भी बात हुई. गीता जीवन की समस्याओं का समाधान देती है. इसमें कहा गया है, "क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? क्यों व्यर्थ किसी से डरते हो? आत्मा ना मरती है, ना पैदा होती है." गीता ईमानदारी से काम करने, आंतरिक खुशी, काम में संतुष्टि, धर्म, सत्य और न्याय के पथ पर चलने की प्रेरणा देती है. यह अहंकार को कम करने, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और सच्ची मित्रता निभाने का भी संदेश देती है. कर्म पर ध्यान केंद्रित करने और फल ईश्वर पर छोड़ने की बात कही गई. रिश्तों और कर्तव्यों के महत्व पर भी जोर दिया गया.