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Acchi Baat: कंस का काल, देवकी के आठवें पुत्र का जन्म... जेल में प्रकट हुए भगवान!

राजा कंस ने अपने पिता को कारागार में डाल दिया था. उनकी बहन देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ. विदाई के समय आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का काल होगा. कंस ने देवकी को मारने का विचार किया, परंतु वासुदेव ने वचन दिया कि वे अपनी सभी संतानें कंस को सौंप देंगे. कंस ने यह शर्त मान ली. कालांतर में देवकी को एक पुत्र हुआ जिसे वासुदेव ने कंस को सौंप दिया. कंस ने उसे जीवित छोड़ दिया. नारद जी ने कंस को समझाया कि गिनती में पहला भी आठवां हो सकता है और आठवां भी पहला. इसके बाद कंस ने देवकी के छह पुत्रों को मार दिया. सातवां गर्भ भगवान की लीला से देवकी की कोख से रोहिणी की कोख में स्थापित हो गया. भादों के महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र और श्रीहर्षण योग में मध्य रात्रि 12 बजे भगवान चतुर्भुज रूप में कारागार में प्रकट हुए. उनके प्रकट होते ही बेड़ियां खुल गईं और कारागार में उजाला छा गया. जैसा कि कहा गया है, 'जब जब धर्म में बढ़ता अधर्म बढ़ता धर्म की हानि होगी तब तब हमारे ठाकुर जी पधार दे.' वासुदेव भगवान को गोकुल ले गए और नंद भवन में बधाईयां बजने लगीं.