हर साल श्रावण माह में आने वाली चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है. कहते हैं कि भगवान शिव ने अमृत मंथन के दौरान निकले हलाहल नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था. इसी विष की तपन को शांत करने के लिए इस दिन सभी देवताओं ने उनका जल और पंचामृत से अभिषेक किया था. इसलिए भगवान शिव नीलकंठ कहलाए. इसी के कारण सावन शिवरात्रि मनाई जाती है.
Shivratri is celebrated every year on Chaturdashi falling in the month of Shravan. It is said that Lord Shiva had kept the poison named Halahal which came out during the churning of nectar in his throat.