द्वापर युग के अंतिम चरण में प्रकट हुए भगवान कृष्ण को वेद व्यास जी ने भागवत पुराण में स्वयं परमेश्वर बताया है. वे विष्णु के आठवें अवतार नहीं, बल्कि सच्चिदानंद पर ब्रह्म परमेश्वर हैं. गीता के श्लोक 'यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानेर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्' के अनुसार, जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, तब भगवान धर्म की स्थापना और पापियों के नाश के लिए अवतार लेते हैं. कंस के कारागार में माँ देवकी के गर्भ से कृष्ण का प्राकट्य हुआ.