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तनोट पर गिराए गए कई बम, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ… ऐसी है माता की कहानी

भाटी राजपूत नरेश तणु राव ने तनोट को अपनी राजधानी बनाया और विक्रम संवत 828 में माता तनोट राय का मंदिर बनाकर उनकी मूर्ति को यहां स्थापित किया था, भाटी राजवंशी और जैसलमेर के आसपास के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी तनोट माता की श्रद्धा के साथ उपासना करते रहे. जब भी राजपुताने पर संकट गहराया. मां ने परछाई बनकर ढाल बनकर यहां के राजाओं की रक्षा की तभी से ये तनोट माता या युद्ध वाली देवी के रूप में पूजी जाने लगी.

Bhati Rajput Naresh Tanu Rao made Tanot his capital and in Vikram Samvat 828, by building a temple of Mata Tanot Rai, his idol was installed here, Bhati Rajvanshi and people around Jaisalmer continued to worship Tanot Mata with devotion from generation to generation.