सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारंभ किया. मार्गशीर्ष मास में विष्णुसहस्त्र नाम, भगवत गीता और गजेन्द्रमोक्ष का पाठ जरूर करें. इस माह में शंख में पवित्र नदी का जल भरें,फिर इसे पूजा स्थान पर रखें. शंख को भगवान के ऊपर से मंत्र जाप करते हुए घुमाएं. शंख में भरा जल घर की दीवारों पर छीटें. इससे घर में शुद्धि बढ़ती है, शांति आती है. इसी मास में महोत्सवों का आयोजन होना अत्यंत शुभ माना जाता है. मार्गशीर्ष की अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए विशेष प्रयोग कर सकते हैं. मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को चन्द्रमा की पूजा जरूर करनी चाहिए. देखें ये खास रिपोर्ट.