कहते हैं जब आप दान करते हैं तो ईश्वर आपको उस दान का कई गुना ज्यादा लौट आता है और पितृपक्ष में तो दान का सबसे ज्यादा महत्त्व बताया गया है। पितृ पूजन से हर समस्या का समाधान होता है। पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके दान धर्म करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दौरान पितरों को नियमित रूप से जल अर्पित किया जाता है। यह जल दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दोपहर के समय काले तिल और हाथ में कुश रखकर दिया जाता है। जिस दिन पूर्वज की देहांत की तिथि होती है, उस दिन अन्न और वस्त्र का दान किया जाता है। किसी निर्धन को भोजन भी कराया जाता है।