श्राद्ध और तर्पण के सही तरीके पर चर्चा की गई। इसमें बताया गया कि पितृ कार्य में श्रद्धा का विशेष महत्व है। यदि किसी के पास धन न हो तो एकांत में पितरों का स्मरण कर हाथ जोड़कर प्रार्थना करने से भी वे प्रसन्न होते हैं। प्रभु राम ने वनवास के दौरान अपने पिता का श्राद्ध किया था। माँ जानकी ने ऋषियों के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाया, लेकिन परोसने नहीं आईं।