पितृ पक्ष का आरंभ हो चुका है, जिसमें पूर्वजों के सम्मान और आभार प्रकट करने के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं ताकि उन्हें मोक्ष मिले और परिवारजनों को आशीर्वाद प्राप्त हो. प्रयागराज, हरिद्वार, बद्रीनाथ, गया और उज्जैन जैसे पवित्र स्थलों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पिंडदान और श्राद्ध कर्म के लिए पहुँच रहे हैं. प्रयागराज को पितृ मुक्ति का प्रथम द्वार, हरिद्वार के नारायणी शिला मंदिर को पितृ दोष मुक्ति का स्थान और बद्रीनाथ के ब्रह्मकपल घाट को अंतिम पिंडदान का स्थल माना जाता है. गया में पितृपक्ष मेला विश्व भर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. इस बार पितृ पक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक है, जो चंद्र ग्रहण से शुरू होकर सूर्य ग्रहण पर समाप्त होगा. यह एक दुर्लभ संयोग है.