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Pitru Paksha में पितृ दोष, शनि, राहु-केतु शांति के महाउपाय: ग्रहों की स्थिति से जानें समाधान

ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों के अलग-अलग लक्षणों को समझकर पितरों की समस्याओं का पता लगाया जा सकता है. पितृ संतुष्ट हैं या अशांत, या व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित है, यह सब ग्रहों की स्थिति से ज्ञात होता है. पितरों की मुक्ति और मोक्ष के लिए शनि, राहु और केतु की शांति के उपाय महत्वपूर्ण हैं. पितृपक्ष के दिनों में ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना विशेष महत्व रखता है. मान्यता है कि ब्राह्मण को कराया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है. शनि ग्रह की शांति के लिए तर्पण करना, कौए, गाय और कुत्ते को भोज पदार्थ देना चाहिए. तिल का प्रयोग पूजन में ग्रहों की शांति करता है. पीपल के वृक्ष में तिल मिला जल अर्पित करना, निर्धनों को उड़द की दाल के पकवान खिलाना और पेड़-पौधे लगाना भी लाभकारी है. रोजाना दोपहर में "ओम सर्व पितृ प्रसन्नो भव ओम" का 108 बार जप करें. राहु-केतु की बुरी दशा पितरों की मुक्ति में बाधा बन सकती है. पितृ दोष की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और काले तिल का विशेष ध्यान रखें. कहा गया है कि "मछली जैसे व्यक्ति के राहु और शनि दोनों शांत हो जाते हैं" पितृपक्ष में सफेद वस्त्र धारण कर पीपल की परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत को सात बार लपेटें और मिठाई जड़ में डालें. सूर्य के साथ राहु या केतु का आना प्रेत बाधा या चांडाल योग बनाता है, जिससे पितृ दोष उत्पन्न होता है. माता का कारक चंद्रमा शनि के साथ या सूर्य शनि के साथ होने पर भी पितृ दोष बनता है. इन दोषों की शांति अनिवार्य है, जिससे ग्रह शुभ फल देने लगते हैं. शनिवार को अन्न या वस्त्र का दान शनि और अन्य ग्रहों की पीड़ा से बचाता है.