प्रेमानंद जी महाराज के एक बयान पर समाज के सभी वर्गों से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. उन्होंने कहा कि "100 में से मुश्किल से दो-चार लड़कियां ही पवित्र होती हैं, बाकि सभी बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के चक्कर में पड़ी हुई हैं" इस बयान को लेकर महिलाओं ने अपनी राय दी है. मथुरा की महिलाओं ने इस बयान को गलत बताया और कहा कि साधु-संतों को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए. उनका काम समाज को सही मार्ग दिखाना है, न कि महिलाओं के लिए गलत बोलना. महिलाओं ने यह भी कहा कि पुरुषों का भी उतना ही हाथ होता है जब महिलाएं गलत रास्ते पर जाती हैं. साध्वी विशरूपा ने इस बयान को चेतावनी के रूप में देखने की बात कही, हालांकि उन्होंने शब्दों के चयन को गलत माना. उन्होंने विवाह से पहले लिव-इन रिलेशनशिप और शारीरिक संबंधों को लेकर युवाओं में बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की. वहीं, साध्वी प्रज्ञा ने इस सोच को पिछड़ी हुई बताया और कहा कि यह महिलाओं को पीछे धकेलने जैसा है. उन्होंने जेंडर इक्वलिटी और बेटियों को सपोर्ट करने की बात पर जोर दिया. समाज में महिलाओं के अधिकारों और प्रगति को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया गया.