पूजा के बाद परिक्रमा का विधान है, जो देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और मन शांत होता है. परिक्रमा हमेशा दाहिने हाथ की ओर से शुरू की जाती है और हर देवी-देवता के लिए परिक्रमा की संख्या निर्धारित है. जो लोग भगवान, माता-पिता और गुरु की परिक्रमा करते हैं, उनके लिए संसार में कोई भी कार्य ऐसा नहीं है जो वे न कर पाएं, सब कुछ संभव हो जाता है.