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राम-सीता का जीवन चरित्र: मनुष्यता का पाठ और कष्टों का निवारण, जानिए

भगवान राम और माता सीता का जीवन चरित्र मनुष्य के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है. भागवत महापुराण में यह बताया गया है कि "भजेत मनुजा कृति हरिम. भजेत रामा मनुजा हरम अगर भजन करना है तो मनुष्य रूप में विराजमान भगवान राम का भजन करना चाहिए. सीता राम का जप करना चाहिए" भगवान राम का अवतार मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ाने के लिए है कि मनुष्य का जीवन कैसा हो. इसी प्रकार माता सीता का जीवन भी स्त्रियों को उनके कर्तव्य का ज्ञान कराता है. भगवान कृष्ण के जीवन में ऐसे कार्य हैं जो मनुष्य के लिए करना संभव नहीं हैं, जैसे पूतना का वध या गोवर्धन उठाना. लेकिन भगवान राम और माता सीता ने मनुष्य के रूप में रहकर वही किया जो मनुष्य कर सकता है. उनके जीवन में संघर्ष आया, लेकिन उन्होंने धैर्य रखा. जैसे सोना तपकर आभूषण बनता है, वैसे ही संघर्ष में धैर्य रखने वाला व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है. जनकपुर और मिथिलावासी अपना सौभाग्य मानते हैं कि उन्हें सीता माता के क्षेत्र में रहने का अवसर मिला है. आज का दिन किसी भी कार्य के लिए फल देने वाला बताया गया है.