उपवास का अर्थ केवल भूखा रहना नहीं है, बल्कि यह ब्रह्म के स्मरण में पूरा दिन व्यतीत करना है. इससे ज्ञान इंद्रियां जागृत होती हैं, मस्तिष्क और आत्मा शुद्ध होती है, और चिंता, भय और नकारात्मकता दूर होती है. गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में कहा है कि काम, क्रोध, मद, लोभ ही नरक के पंथ हैं, और उपवास इन्हें दूर कर परमात्मा से जोड़ता है.