भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारंभ हो गया है, जिसमें जाति-पाति का कोई भेद नहीं होता और कोई भी व्यक्ति सम्मिलित हो सकता है. मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं जहां विज्ञान भी विफल हो जाता है, जैसे मंदिर की परछाई न बनना और ध्वज का हवा के विपरीत दिशा में फहराना. एक भक्त के प्रेम के कारण भगवान को एकादशी के दिन भी खिचड़ी का भोग लगता है, जिसके लिए कहा गया है कि "प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा अपना मान भले टल जाए, भक्त का मान न टलते देखा."