रुद्राक्ष को नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने वाला माना जाता है. यह कुंडली में शनि के दुष्प्रभाव को भी कम करने में सहायक हो सकता है. रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से जन्मा माना जाता है और प्राचीन काल से इसका प्रयोग होता रहा है. इसे धारण करने से पहले इसके नियमों और सावधानियों को समझना आवश्यक है. विवाहित महिलाओं को इसे धारण न करने की सलाह दी जाती है. विशेष रूप से सन्यासी इसे धारण करते हैं, जबकि गृहस्थ व्यक्ति पंचमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं. रुद्राक्ष को लाल या पीले धागे में पूर्णिमा, अमावस्या या सोमवार को धारण करना श्रेष्ठ होता है. इसे 1, 27, 54 या 108 की संख्या में धारण करें. धारण करने के बाद मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. सोते समय रुद्राक्ष उतार देना चाहिए और दूसरे की धारण की हुई माला नहीं पहननी चाहिए. तांबे के साथ धारण करने पर यह चमत्कारी परिणाम देता है. इन नियमों का पालन करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.