भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व है. यदि किसी कारणवश व्रत करने की स्थिति में नहीं भी हैं, तो भी यह पूजा उतना ही फल देती है. मानव जीवन से जुड़े सुख-दुख का चक्र श्रीहरि के हाथ में है. जब-जब पाप का प्रभाव बढ़ा, तब-तब धर्म की स्थापना के लिए श्रीहरि ने अवतार लिया. बिना व्रत के भी यह पूजा पूरी विधि के साथ की जा सकती है. कथा सुनने का बहुत बड़ा असर होता है. पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सबसे सुंदर होता है. साथ ही बृहस्पतिवार और एकादशी के दिन भी इस कथा को सुनने का बहुत महत्व है. इन तीनों समय में सही मुहूर्त का ध्यान रखकर कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. हालांकि, अशुभ मुहूर्त या पंचक दोष में कथा सुनने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे अनेक प्रकार की समस्या भी आ सकती है. केले के पेड़ में जल डालना, विष्णु सहस्त्रनाम या गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना, पीली वस्तुओं का दान करना, गुरु की उपासना करना, पूर्णिमा के दिन पंचामृत अर्पित करना और 'ओम विश्ववे नमः' का जाप करना भी लाभकारी होता है. नियमित रूप से माह की पूर्णिमा को सत्यनारायण भगवान की पूजा करने से विशेष मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं. श्रद्धा और भक्ति में अद्भुत शक्ति होती है. ज्योतिषी मानते हैं कि सत्यनारायण का पाठ, नियम, संयम और विधि पूर्वक करने वाले भक्त की मुश्किलों को पल भर में हर लेते हैं. सच्चे मन से श्रीहरि का ध्यान सभी दुखों को दूर कर देता है.