scorecardresearch

Satyanarayan Vrat Katha: राजा तुंगध्वज के अहंकार और पश्चाताप की कहानी, प्रसाद का अपमान पड़ा भारी

इस विशेष रिपोर्ट में सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा के पांचवें अध्याय का वर्णन किया गया है. इसमें राजा तुंगध्वज की कथा सुनाई गई है, जिन्होंने अहंकार के कारण भगवान के प्रसाद का त्याग कर दिया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें अपने पुत्रों और राज्य को खोना पड़ा. धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि कैसे राजा ने अपनी गलती सुधारकर विधि-विधान से पूजन किया और अपना सब कुछ पुनः प्राप्त किया. कथा में पलाश के पत्तों से बने 'दोना' का महत्व भी समझाया गया है और अंत में द्वारकाधीश का भजन प्रस्तुत किया गया है.