सत्यनारायण व्रत सत्य के पालन का व्रत है, जिसके करने से सर्वत्र विजय और धनधान्य की प्राप्ति होती है. कथा में एक निर्धन ब्राह्मण और एक लकड़हारे का वर्णन है, जिन्होंने इस व्रत को करके अपनी दरिद्रता दूर की और सुख प्राप्त किया. इस व्रत के महत्व को बताते हुए कहा गया है, 'सच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप', और इसे किसी भी दिन सायंकाल में करने का विधान है.