आज हरियाली अमावस्या है और इसके साथ ही दक्षिण भारत और गुजरात में सावन की शुरुआत हो रही है. उत्तर भारत में जहां हरियाली अमावस्या मनाई जा रही है, वहीं दक्षिण भारत में इसे आदि अमावस्या के तौर पर मनाया जा रहा है. उत्तर भारत में पूर्णिमा कैलेंडर का पालन होता है, जबकि दक्षिण भारत में अमावस्या कैलेंडर का उपयोग किया जाता है. सावन में आने वाली अमावस्या को नवग्रह शांति और पितरों की पूजा के लिए विशेष माना गया है. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर दान पुण्य कर रहे हैं. प्रयागराज में श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, तो वहीं दक्षिण भारत में कावेरी से लेकर समुद्र तक लोग तर्पण और पिंडदान करते दिखे. मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है. आदि अमावस्या को पूर्वज पूजन के तौर पर मनाया जाता है. इस साल सावन अमावस्या पर गुरुपुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं. कल से गुजरात और महाराष्ट्र समेत दक्षिण भारत में सावन महीने की शुरुआत होगी. सोमनाथ मंदिर में भी भक्तों के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं.