सावन का महीना शिव उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दौरान रुद्राभिषेक से महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और माँ गंगा भी प्रसन्न होती हैं. हालांकि, रुद्राभिषेक करते समय कुछ सावधानियों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है. विद्वानों का मानना है कि मनोकामना पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक से पहले शिव जी की उपस्थिति यानी 'शिववास' देखना बहुत जरूरी है. भगवान कहते हैं, "निर्मल मन जन सोह मोही पावा मोही कपट छल छित दृण भावा।" इसलिए कपट का त्याग कर निर्मल मन से पूजन करना चाहिए. प्रदोष काल शिव पूजा के लिए सर्वोत्तम समय है. धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने की कुछ तिथियों पर शिवजी माँ गौरी के साथ, कैलाश पर या विश्व भ्रमण पर होते हैं, जो रुद्राभिषेक के लिए मंगलकारी होती हैं. वहीं, कुछ तिथियां ऐसी भी होती हैं जब महादेव श्मशान में समाधि में, देवताओं की समस्याएं सुनते हुए, सभा करते हुए, या क्रीडारत रहते हैं. इन तिथियों में रुद्राभिषेक करने से फल प्राप्त नहीं होता है. शिववास का विचार करके रुद्राभिषेक करने से सुख-संपत्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.