भगवान शिव के जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है. मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को शिव जी ने अपने कंठ में धारण किया, जिससे उनका ताप बढ़ गया. प्रकृति को बचाने के लिए उन्होंने ऐसा किया. तभी से जलाभिषेक की परंपरा चली आ रही है. सावन का महीना जीवन में वृद्धि और समृद्धि का सुनहरा समय माना जाता है. इस दौरान भगवान भोलेनाथ की आराधना, उनकी महिमा का वर्णन, शिव पुराण का पाठ और मंत्र जाप विशेष फलदायी होता है. सच्चे मन से शिव के आगे समर्पण करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं.