रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र महादेव को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली माध्यम है. इस स्तोत्र का पाठ करने से कई सिद्धियों की प्राप्ति होती है और तमाम मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, जब रावण ने अहंकारवश कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया और उसका हाथ कैलाश के नीचे दब गया, तब उसने भगवान शिव की स्तुति में इस स्तोत्र की रचना की. भगवान शिव ने जब इस गायन को सुना तो वे नृत्य करने लगे, जिससे इसका नाम शिव तांडव पड़ा. शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से मानसिक शांति, भौतिक उन्नति और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. यह आर्थिक संपन्नता लाता है और घर से दरिद्रता दूर करता है. इसका शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करने से समस्त विघ्न बाधाएं दूर होती हैं. तांडव शब्द 'तंदूर' से बना है, जिसका अर्थ है उछलना. तांडव में ऊर्जा और शक्ति से उछलना होता है, जिससे दिमाग और मन शक्तिशाली बनता है.