श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनोकामनाओं की पूर्ति का वरदान लेकर आता है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन में कान्हा का जन्मोत्सव राजसी ठाठ-बाठ के साथ मनाया जाता है. जन्माष्टमी की तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन वृंदावन में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है. भगवान को 56 भोग इसलिए प्रिय है क्योंकि उन्होंने गोवर्धन धारण किया था और 7 दिन तक कुछ नहीं खाया था. ब्रजवासियों ने इस भावना से 56 भोग अर्पित किया. भगवान तो भाव के भूखे हैं, भाव से ही तो वो ग्रहण करते हैं, भाव नहीं है तो कुछ नहीं है. श्रीकृष्ण के श्रृंगार में फूलों का उपयोग करें, पीले रंग के वस्त्र, गोपीचंदन और चंदन के सुगंध से श्रृंगार करें. काले रंग का प्रयोग ना करें. भगवान का श्रृंगार मोरू का मुकुट, पीत वस्त्र, श्वेत वस्त्र, गले में हार, मोतियों की माला और कुंद के छोटे पुष्पों से किया जाता है. पंचामृत, तुलसी दल, मेवा, माखन और मिश्री का भोग भी लगाएं. कहीं-कहीं धनिए की पंजीरी भी अर्पित की जाती है.