श्रीमद्भागवत गीता को स्वयं योगेश्वर श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकली अमृत वाणी माना गया है। विद्वानों के अनुसार, यह ग्रंथ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि परमेश्वर द्वारा रचित जीवन शैली का मार्गदर्शक है। श्री आदि शंकराचार्य ने भी कहा है कि गीता का पाठ करने वाला श्री हरि की शरण में जाता है। यह हमें सिखाता है कि संसार से विरक्त हुए बिना भी ईश्वर के प्रति समर्पित कैसे रहा जाए।