पूजा में प्रयोग होने वाली सुगंधित सामग्री जैसे धूप और अगरबत्ती मानसिक शांति देती है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म करती है, जिसमें धूपबत्ती को अगरबत्ती से बेहतर माना गया है. ज्ञानियों का कहना है कि प्रसाद का अर्थ ये है भगवान को हम भोग देते हैं भोग भगवान लौकिक रूप से स्वीकार नहीं करते. भोग का अर्थ है प्रसाद का अर्थ है हमारे मन की कामना, उनको भेंट करना. प्रसाद चढाना अनिवार्य नहीं है लेकिन उत्तम माना जाता है. और इसे बांटने से मनोकामना जल्दी पूरी होती है. गणेश जी को लड्डू प्रिय हैं पर तुलसी नहीं चढ़ती, जबकि शिव जी को केतकी का पुष्प निषेध है.