एक आध्यात्मिक प्रवचन में, महाराज ने कलियुग में जीवों के कल्याण का मार्ग बताया और कहा कि आधुनिक युग में आलस्य और भोग-विलास में डूबे मनुष्य के लिए ईश्वर की भक्ति करना कठिन होगा. उन्होंने कहा कि गुरु के मार्गदर्शन से ही ठाकुर जी की शरण में जाकर भगवद् प्राप्ति संभव है. जीवन के वास्तविक लक्ष्य पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, 'जीवन का लक्ष्य है गुरु के चरणों को पकड़ करके गोविंद को प्राप्त कर लेना, भगवान को पा लेना ही जिन्दगी का लक्ष्य है'. महाराज ने श्रोताओं से आग्रह किया कि वे धन, प्रसिद्धि और सांसारिक उपलब्धियों को जीवन का अंतिम उद्देश्य न मानें. उन्होंने पंडाल में मौजूद लोगों से प्रतिदिन गोविंद का नाम जपने का प्रण लेने का आह्वान किया, ताकि यह अनमोल मानव जीवन व्यर्थ न जाए.