सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव के लौकिक और अलौकिक स्वरूप का विश्लेषण किया गया है. आमतौर पर शिव के लौकिक स्वरूप की आराधना की जाती है, जिसमें उनके भाल पर चंद्रमा, जटा में गंगा, ललाट पर तीसरा नेत्र, गले में सर्प की माला, डमरू और त्रिशूल जैसे प्रतीक शामिल हैं. हालांकि, शिव का अलौकिक और आध्यात्मिक स्वरूप अत्यंत गूढ़ है.