प्राचीन मनीषियों ने अपनी साधना और तपस्या के बल पर यह सिद्धांत स्थापित किया है कि शिव हर प्राणी में ऊर्जा के रूप में विद्यमान हैं. उन्होंने यह अनुभूति की कि मनुष्य के साथ ही हर जीव-जंतु की ऊर्जा और चेतना का स्रोत एक ही है. हजारों साल पहले हिंदुस्तान की पावन धरती पर जिस नटराज स्वरूप की कल्पना की गई थी, वह आज के वैज्ञानिक युग में सृष्टि की उत्पत्ति का रहस्य डिकोड करने का आधार बन रहा है. शिव का स्वरूप इतना अद्भुत और व्यापक है कि उसमें समूचा चराचर जगत समाहित है.