हम इष्टदेव और उनकी साधना के बारे में बात कर रहे हैं. हर इंसान के इष्टदेव अलग होते हैं, लेकिन सूर्यदेव ऐसे हैं जिनकी पूजा उपासना संपूर्ण संसार के लिए एक समान कल्याणकारी है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, सूर्यदेव की उपासना संसार के हर जीव का कल्याण करती है. शरीर और मन शुद्ध रखने के लिए सूर्य की उपासना सर्वोत्तम मानी जाती है. हर व्यक्ति को नियमित रूप से सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए और उगते सूर्य की रौशनी में खड़ा होना चाहिए. इससे शरीर में स्थित नाड़ियों और ग्रहों को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है. श्रीराम के रघुकुल में भी सूर्य की उपासना की जाती थी. दुनिया के कई देशों में सूर्य की उपासना किसी ना किसी स्वरूप में की जाती है. भारत में सूर्य और चंद्र से ही समय का निर्धारण होता है. इन ग्रहों को ईश्वर माना जाता है. एक जानकार के अनुसार, 'किसी भी व्यक्ति को यदि सम्मानित बनना है, स्वस्थ रहना है और वह चाहता है कि चतुर्दिक उसकी तरक्की हो तो सूर्यनारायण ही एकमात्र ऐसे हैं जिनको पूजन करने से, जिनकी आराधना करने से, उनके मंत्रों का जाप करने से, उनको जल अर्घ्य प्रदान करने से प्रसन्नता प्राप्त होती है और जीवन में सफलता आती है' चातुर्मास का आरंभ देवशयनी एकादशी से होता है. इसमें भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. उनकी अनुपस्थिति में कोई शुभ काम करना अच्छा फल नहीं देता और शुभ काम में विघ्न पड़ने की संभावना रहती है. वर्षा ऋतु के कारण भी चातुर्मास में शुभ काम करना श्रेयस्कर नहीं रहता.