scorecardresearch

क्या है तुलसी का पौराणिक इतिहास और महत्व ?

देवोत्थान एकादशी पर तुलसी विवाह कई मायनों में फलदायी होती है. सनातन परंपरा ने जड़ और चेतन सब में ईश्वर की भावना की है. नदियां,पहाड़,पत्थर यहां तक कि पेड़ पौधों में भी ईश्वर और देवी देवताओं का वास माना है. पौधों में देवियों और देवताओं का वास इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उनके अन्दर नकारात्मक ऊर्जा नष्ट करने की क्षमता होती है. तुलसी का पौधा भी इनमें से एक है, इसमें औषधीय के साथ-साथ दैवीय गुण भी पाए जाते हैं. पुराणों में तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी कहा गया है, शालिग्राम रुपी भगवान विष्णु की पूजा बिना तुलसी के हो ही नहीं सकती.