निर्जला और देवशयनी एकादशी के मध्य पड़ने वाली योगिनी एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि 'योगिनी एकादशी ही है वो दिव्यदिन जब कट जाएंगे सारे पाप'. इस दिन व्रत, पूजन, गीता पाठ और विशेष उपायों से पितरों का आशीर्वाद, रोगों से मुक्ति, नौकरी प्राप्ति तथा मानसिक समस्याओं का समाधान संभव है. हेमाली नामक माली को भी इसी व्रत से कुष्ठ रोग और श्राप से मुक्ति मिली थी.