Cardiovascular disease and Cancer Treatment (Representative Image)
Cardiovascular disease and Cancer Treatment (Representative Image) जब हम दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में सबसे पहले बंदूक हिंसा, दुर्घटनाएं, या यहां तक कि कोविड-19 भी आ सकती है. हालांकि, वैश्विक स्तर पर दो और ऐसी बीमारियां हैं जिसके कारण हजारों मौतें होती हैं. इसमें कार्डीओवैस्क्यूलर डिजीज और कैंसर शामिल हैं. अमेरिका में लगभग 50 प्रतिशत मौतों के लिए ये दो बीमारियां जिम्मेदार हैं. लेकिन अब इसके लिए एक दवा ढूंढ ली गई है जिससे इन लोगों को बचाया जा सकता है.
दरअसल, पहली नजर में, कार्डीओवैस्क्यूलर डिजीज और कैंसर बहुत अलग दिखाई देते हैं. लेकिन हाल की खोजों ने आश्चर्यजनक बातें सामने आई हैं कि ये बीमारियां कैसे बनती हैं, जिसका मतलब है कि कुछ ट्रीटमेंट संभावित रूप से दोनों के लिए काम कर सकते हैं.
क्या निकाला गया ट्रीटमेंट?
साइंसअलर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे इंजीनियर्ड नैनोपार्टिकल जो इम्यून सेल्स को टारगेट कर सकते हैं, वे कैंसर और दिल की बीमारी दोनों के इलाज की कुंजी हो सकते हैं. कार्डीओवैस्क्यूलर डिजीज, विशेष रूप से एथेरोस्क्लेरोसिस, सूजन और ब्लड वेसल की दीवारों में फैट और कोलेस्ट्रॉल के जमाव, जिससे प्लाक बनता है, के कारण होता है. इससे दिल का दौरा पड़ सकता है जब प्लाक फट जाते हैं और खून के थक्के बन जाते हैं.
दोनों के कारण हैं लगभग एक जैसे
इसके अलावा, मोटापा, स्मोकिंग, स्ट्रेस और खराब डाइट दोनों बीमारियों से जुड़े हुए हैं. लेकिन इन अलग-अलग प्रतीत होने वाली स्थितियों में समान जोखिम कारक क्यों होते हैं? दरअसल, पुरानी सूजन दोनों बीमारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. एथेरोस्क्लेरोसिस में, सूजन ब्लड वेसल सेल्स को नुकसान पहुंचाती है और प्लाक को खराब कर देती है. कैंसर में, पुरानी सूजन म्यूटेशन को बढ़ाती है, और इससे शरीर का इम्यून रिस्पांस ट्यूमर को पोषण देता है.
दोनों में फायदा पहुंचाएगी ये दवा
शोध से पता चलता है कि कैंसर के लिए बनी ये दवा एथेरोस्क्लेरोसिस में भी फायदा पहुंचा सकती है. उदाहरण के लिए, मैक्रोफेज नाम की इम्यून सेल्स को टारगेट करने वाली दवाएं एथेरोस्क्लेरोसिस में डेड सेल्स को खत्म करने के लिए उन्हें स्टिम्युलेट कर सकती हैं, जिससे प्लाक का आकार कम हो जाता है.
इस दवा के भविष्य की अगर बात करें, तो कैंसर और कार्डीओवैस्क्यूलर डिजीज की दवाएं बनाना एक महंगी प्रक्रिया है जबकि दो अलग-अलग रोगी आबादी के लिए एक ही दवा बनाने आसान है.