scorecardresearch

Chandrayaan 3 Mission: सूर्य की स्टडी से लेकर गगनयान तक... चंद्रयान 3 के बाद ये है ISRO की 5 बड़ी तैयारी

ISRO Big Missions: चंद्रयान 3 के बाद इसरो की कई मिशन लॉन्च करने की तैयारी है. स्पेस एजेंसी कई बड़े मिशन पर काम कर रहा है. इसमें सूर्य की स्टडी करने के लिए Mission Aditya L1 से लेकर एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में भेजने के लिए Gaganyaan तक शामिल हैं.

चंद्रयान 3 के बाद ISRO कई मिशनों लॉन्च करने पर काम कर रहा है (Photo/Twitter) चंद्रयान 3 के बाद ISRO कई मिशनों लॉन्च करने पर काम कर रहा है (Photo/Twitter)

इसरो के मिशन मून से दुनिया को बड़ी उम्मीद है. इस मिशन के जरिए चांद के साउथ पोल के बारे में जानकारी हासिल होने की उम्मीद है. चंद्रयान 3 के बाद भी कई ऐसे मिशन हैं, जिसपर इसरो काम कर रहा है. इसमें गगनयान से लेकर सूर्य की स्टडी करने के लिए आदित्य एल1 मिशन तक शामिल हैं. इसके अलावा इसमें क्लाइमेट ऑब्जरवेशन सैटेलाइट की लॉन्चिंग भी शामिल है.

आदित्य एल1 मिशन-
चंद्रयान 3 मिशन के बाद इसरो आदित्य एल1 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करेगा. इस मिशन के तहत सूर्य की स्टडी की जाएगी. इसरो का ये मिशन सितंबर 2023 में लॉन्च हो सकता है. इस मिशन के जरिए भारत पहली बार सौरमंडल में स्पेस ऑब्जर्वेटरी तैनात करेगा. आदित्य एल1 के जरिए इसरो 24 घंटे सूर्य पर नजर रखेगा.

लॉन्चिंग के लिए तैयार एक्सपोसैट-
इसरो का एक्सपोसैट यानी एक्स-रे पोलारीमीटर सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए तैयार है, जो चमकदार खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की अलग-अलग मोबिलिटी की स्टडी करेगा. इस तरह की स्टडी करने वाला देश का पहला पोलारीमेट्री मिशन है.

गगनयान मिशन-
इसरो गगनयान मिशन के जरिए इंसानों को स्पेस में भेजेगा. गगनयान मिशन 3 स्पेस मिशन का एक ग्रुप है. पहले दो अभियान मानव रहित होंगे, जबकि तीसरे मिशन में इंसानों को स्पेस में भेजा जाएगा. इस मिशन में 3 लोगों को स्पेस में भेजा जाएगा. जिसमें दो पुरुष और एक महिला एस्ट्रोनॉट शामिल होंगे. इस मिशन में एस्ट्रोनॉट्स को धरती के करीब 400 किलोमीटर दूर स्पेस में भेजा जाएगा.

इनसैट 3डीएस सैटेलाइट-
क्लाइमेट रिसर्च के लिए इसरो के वैज्ञानिक इनसैट 3डीएस सैटेलाइट पर काम कर रहे हैं. इसरो का ये मिशन दुनिया के लिए एक मिसाल होगा.

निसार रडार-
निसार (NISAR) अमेरिका और भारत का ज्वाइंट मिशन है. इसरो और नासा मिलकर सिंथेटिक एपर्चर रडार 'निसार' पर काम कर रहे हैं. इसकी बदौलत आने वाली प्राकृतिक आपदा का अंदाजा लगाया जा सकता है. निसार को धरती की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. यह लगातार धरती के इकोसिस्टम, बर्फ की मात्रा, समुद्री जलस्तर, भूजल स्तर, भूकंप, भूस्खलन, पेड़-पौधों पर नजर रखेगा.

ये भी पढ़ें: