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ISRO Polarimetry Mission: सूरज और चांद के बाद अब खुलेंगे ब्लैक होल के राज, ISRO शुरू करने जा रहा है अपने पहले पोलरिमेट्री मिशन पर काम

ISRO Polarimetry Mission: इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह मिशन बेहद जरूरी है. इससे अलग-अलग खगोलीय स्रोतों के बारे में पता लगेगा. जैसे- ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे, एक्टिव गैलेक्टिक nuclei, पल्सर विंड nebulae आदि के एमिशन को समझने और मापने में मदद मिलेगी.

ISRO Polarimetry Mission ISRO Polarimetry Mission
हाइलाइट्स
  • ब्लैक होल के बारे में मिलेगी जानकारी 

  • दुनिया का दूसरा पोलारिमेट्री मिशन होगा ये 

इस साल इसरो लगातार दुनिया को अपनी ताकत दिखाता जा रहा है. अब एक बार फिर से भारत की अंतरिक्ष एजेंसी, इसरो, साल के आखिर तक अपना पहला पोलारिमेट्री मिशन, XPoSat लॉन्च करने की तैयारी कर रही है. ये मिशन चमकीले खगोलीय एक्स-रे सोर्स (astronomical X-ray sources) का अध्ययन करेगा. XPoSat लाइट के पोलराइजेशन  को मापने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन है. इतना ही नहीं ये यह वैज्ञानिकों को ब्लैक होल, न्यूट्रॉन सितारों और दूसरी चुनौतीपूर्ण खगोलीय घटनाओं के बारे में समझने में मदद करेगा. 

दुनिया का दूसरा पोलारिमेट्री मिशन होगा ये 

पोलारिमेट्री पैरामीटर को मापने और स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी देने के लिए मिशन दो पेलोड, POLIX और XSPECT ले जाएगा. नासा के IXPE मिशन के बाद यह दुनिया का दूसरा पोलारिमेट्री मिशन होगा. भारत के चंद्रमा और सूर्य मिशनों की सफलता के बाद, वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मिशन के साल के आखिर तक लॉन्च होने की उम्मीद है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इसको लेकर कहा, "XPoSat (एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट) मिशन की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं, लेकिन इसके लिए काम तेज गति से चल रहा है."

ब्लैक होल के बारे में मिलेगी जानकारी 
 
इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह मिशन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे अलग-अलग खगोलीय स्रोतों के बारे में पता लगेगा. जैसे- ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे, एक्टिव गैलेक्टिक nuclei, पल्सर विंड nebulae आदि के एमिशन को समझने और मापने में मदद मिलेगी. इस तरह के एमिशन को ज्यादातर स्पेक्ट्रोस्कोप का उपयोग करके और दूरी तय करने में लगने वाले समय का अध्ययन करके ट्रैक किया जाता है. लेकिन अभी भी इन सबके सोर्स की सटीक प्रकृति अभी भी खगोलविदों के लिए गहरी चुनौतियां खड़ी करती है. 

मिशन दो पेलोड ले जाएगा 

मिशन दो पेलोड ले जाएगा - POLIX (एक्स-रे में पोलारिमीटर डिवाइस) जो पोलराइजेशन के पैरामीटर मापेगा, इसमें उनकी डिग्री और एंगल भी देखा जाएगा. वहीं XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग) पेलोड जो 0.8-15 केवी की एनर्जी रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी देगा. 

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) के सहयोग से बेंगलुरु के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने प्राइमरी पेलोड, पोलिक्स बनाया है. वहीं XSPECT को सॉफ्ट एक्स-रे में तेज टाइमिंग और अच्छा स्पेक्ट्रोस्कोपिक रिजॉल्यूशन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है.

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर या IXPE के बाद यह दुनिया का दूसरा ऐसा मिशन होगा, जिसे ब्रह्मांड में कुछ सबसे छिपी हुई चीजों के बारे में जानकारी इकठ्ठा करने के लिए बनाया गया है.