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एक किडनी के साथ पैदा हुई दीपाली का 15 साल की उम्र में निकला जटिल ट्यूमर, डॉक्टरों ने सिर्फ 2 घंटे में रोबॉटिक सर्जरी से किया इलाज

15 साल की दीपाली की किडनी में एक ट्यूमर डेवलप हो गया. इसे मेडिकल की भाषा में रेनल सिस्ट कहते हैं. बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने महज दो से तीन घंटो में ट्यूमर को निकाल दिया.

दीपाली दीपाली
हाइलाइट्स
  • जन्म से ही दोनों किडनी जुड़ी हुई थी 

  • रोबॉटिक सर्जरी से हुई जल्दी रिकवरी 

जैसे जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है वैसे वैसे हम और भी एडवांस होते जा रहे हैं. आए दिन इसके कई उदाहरण हमें देखने को मिलते हैं. इसी कड़ी में 15 साल की दीपाली सिर्फ एक किडनी के साथ ही पैदा हुई थी. लेकिन कुछ महीनों पहले उसके किडनी में ही एक ट्यूमर डेवलप हो गया जिसे मेडिकल की भाषा में रेनल सिस्ट (renal cyst) कहते हैं. लेकिन डॉक्टरों की टीम ने महज दो से तीन घंटो में ट्यूमर को निकाल दिया है. इस पूरी सर्जरी की सबसे खास बात यह है कि यह ऑपरेशन रोबॉटिक सर्जरी के जरिए किया गया है.

15 साल की बच्ची की बची जिंदगी 

नई दिल्ली के बीएलके-मैक्स सुपर स्पशेयलिटी अस्पताल ने रोबॉटिक सर्जरी की मदद से एक पंद्रह साल की बच्ची जिंदगी बचाई गयी है. रोबॉटिक सर्जरी के जरिए 10*10 सेंटीमीटर साइज की गांठ (रेनल सिस्ट) को निकाला गया है. 

बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल के रोबॉटिक सर्जरी के डायरेक्टर डॉ सुरेंद्र डबास ने बताया कि ये ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि गांठ हटाते वक्त डॉक्टरों को ये भी सुनिश्चित करना था कि किडनी या ब्लड वेसल्स और यूरेटर को नुकसान न पहुंचे. दरअसल, इस केस में रेनल वेसल्स और यूरेटर अजीब तरह से गांठ से जुड़े थे, ऐसे में अगर इनमें से किसी भी अंग पर असर पड़ता तो मरीज के लिए मुश्किल हो सकती थी.  

जन्म से ही दोनों किडनी जुड़ी हुई थी 

15 साल की दीपाली का जन्म सामान्य नहीं हुआ था. उसकी दोनों किडनी एक साथ जुड़ी हुई थीं और बाएं हिस्से में थीं. जबकि राइट किडनी वाला एरिया खाली था यानी अब्सेंट राइट किडनी. 

डॉक्टर सुरेंद्र डबास कहते हैं, ''ये सबसे पेचीदा केस में से था. दीपाली का जन्म बाएं हिस्से में फ्यूज्ड किडनी के साथ हुआ था, जबकि दाहिना हिस्सा खाली था. उसकी किडनी में बड़ी गांठ थी जिसका जल्द से जल्द ऑपरेशन होना जरूरी था. ऑपरेशन में सबसे बड़ी समस्या यह थी कि किडनी, यूरेटर और रेनल वेसल्स को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होने देना था. इस केस पर मंथन के बाद हमने रोबॉटिक सर्जरी करने का फैसला किया और ये ऑपरेशन सफल रहा. रोबॉटिक तकनीक का उपयोग करते हुए, गांठ के आसपास की संरचनाओं, रक्त वाहिकाओं और यूटेरस को बिना नुकसान पहुंचे बहुत ही सावधानी से टीम ने अपना काम किया और गांठ को हटा दिया गया. इसमें ब्लड लॉस भी काफी कम हुआ.''

रोबॉटिक सर्जरी से हुई जल्दी रिकवरी 

आपको बता दें, रोबॉटिक सर्जरी का फायदा ये हुआ कि दीपाली ने तुरंत रिकवरी कर ली और ऑपरेशन के चौथे दिन वो अस्पताल से डिस्चार्ज हो गईं. दीपाली ने बताया कि पहले उसे ऑपरेशन से बहुत डर लग रहा था. इतनी कम उम्र में उसने रोबॉटिक सर्जरी के बारे में सुना ही नहीं था लेकिन डॉक्टरों के समझाने के बाद ऑपरेशन के लिए मान गई. वह कहती हैं कि इस ऑपरेशन का पूरा श्रेय सिर्फ डॉक्टर्स को जाता है.

डॉक्टर डबास ने कहा कि आमतौर पर डॉक्टर्स इस तरह की गांठ को निकालने के लिए ओपन सर्जरी करते हैं, लेकिन हमने रोबॉटिक सर्जरी का इस्तेमाल किया है, जिसमें बॉडी को कम से कम नुकसान पहुंचता है, दर्द कम होता है, ब्लड लॉस कम होता है, जल्दी रिकवरी होती है और अस्पताल में भी कम दिन के लिए भर्ती रहना पड़ता है. इसके अलावा ऑपरेशन के चलते होने वाले इंफेक्शन का खतरा भी रोबोटिक सर्जरी में बहुत कम रहता है. 

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