scorecardresearch

Earth Second Moon: वाह! अब हमारी धरती के पास 1 नहीं... 2 चांद... लेकिन दूसरे चंद्रमा को नहीं देख पाएंगे आप... आखिर क्यों... जानिए यहां वजह

2024 PT5: हमारी धरती के पास एक दूसरा चांद आ गया है. इसका नाम 2024 PT5. ये मिनी मून करीब दो महीने तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा. इसके बाद वापस लौट जाएगा. आइए इसके बारे में जानते हैं.

Moon (File Photo: PTI) Moon (File Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • दूसरा चंद्रमा 25 नवंबर को धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से निकल जाएगा बाहर

  • 2024 PT5 एस्टेरॉयड में पृथ्वी के समान हैं चट्टानें 

अभी तक आपने पृथ्वी के एक चांद के बारे में सुना है लेकिन एक दुर्लभ खगोलीय घटना में हमारी धरती को दूसरा चांद मिल गया है. इसे मिनी मून (Mini Moon) कहा जा रहा है. इसका नाम 2024 PT5 है. असल में यह एक एस्टेरॉयड (Asteroid) यानी  क्षुद्रग्रह है. यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण द्वारा पकड़ा गया है. यह अंतरिक्ष में अपनी लंबी यात्रा पर है. यह धरती के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में एक चक्कर यहां लगाकर तब आगे बढ़ेगा. यह 25 नवंबर 2024 तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा.

सबसे पहले कब दिखा था 2024 PT5 
नासा की नजर में सबसे पहले 2024 PT5 इसी साल 7 अगस्त को आया था. यह मिनी-मून अर्जुन एस्टेरॉयड बेल्ट का हिस्सा है, जो धरती और सूर्य के बीच स्थित है. इस बेल्ट में कई छोटे-छोटे पत्थर होते हैं, जो कभी-कभी धरती के करीब आ जाते हैं. यह बेल्ट सूर्य से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है, जो धरती की सूर्य से दूरी के बराबर ही है. 2024 PT5 एस्टेरॉयड में पृथ्वी के समान चट्टानें हैं. लगभग 37 फीट (10 मीटर) व्यास वाला यह एस्टेरॉयड पृथ्वी के प्राकृतिक चंद्रमा से काफी छोटा है. 

मिनी मून पृथ्वी का नहीं लगाया पूरा चक्कर
यह पृथ्वी के चारों ओर एक पूर्ण चक्कर नहीं लगा पाएगा. इसके आगे बढ़ने से पहले पृथ्वी के गुरुत्वार्षण के कारण इसकी कक्षा में थोड़ा परिवर्तन होगा. यह एस्टेरॉयड अंतरिक्ष में अपनी जर्नी फिर से शुरू करने से पहले केवल 57 दिनों के लिए पृथ्वी का चक्कर लगाएगा. इसकी रफ्तार लगभग 2,200 मील प्रति घंटे (3,540 किमी/घंटा) है. वैज्ञानिक अभी अनिश्चित हैं कि क्या यह 2024 PT5 एस्टेरॉयड महज अंतरिक्ष चट्टान का एक टुकड़ा है या संभवतः चंद्रमा का एक टुकड़ा है, जो बहुत पहले टूट गया था. मैड्रिड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कार्लोस डेला फ्यूएंटे मार्को ने कहा कि अर्जुन एस्टेरॉयड बेल्ट की दिशा अलग है. इस बेल्ट में मौजूद पत्थर आमतौर पर नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स हैं. इनमें से कुछ पत्थर धरती के बेहद नजदीक चले आते हैं. लगभग 45 लाख किलोमीटर की दूरी तक.  

सम्बंधित ख़बरें

क्या नंगी आंखों से देखा जा सकता है 'दूसरा चंद्रमा'
अब आपके मन में सावल होगा कि क्या नंगी आंखों से इस दूसरे चंद्रमा को देखा जा सकता है तो इसका जवाब है नहीं. छोटे आकार और कम चमक के कारण हम इसे नंगी आंखों से नहीं देख पाएंगे. आप इसे सामान्य दूरबीन से भी नहीं देख पाएंगे. आपको इसे देखने के लिए खगोलीय दूरबीनों की जरूरत पड़ेगी. इसे देखने के लिए कम से कम 30 इंच डायमीटर वाला सीसीडी या सीएमओएस डिटेक्टर टेलिस्कोप चाहिए. आपको इसे देखने के लिए वेधशालाओं से ऑनलाइन छवियों पर निर्भर रहना होगा. इस मिनी-मून के बारे में हाल ही में द रिसर्च नोट्स ऑफ द एएएस जर्नल में रिपोर्ट छपी है.

दो तरह से होती हैं मिनी मून की घटनाएं 
धरती के पास मिनी मून की घटनाएं दो तरह से होती हैं. पहली ये कि कोई वस्तु आकर धरती की ग्रैविटी में ऐसे फंस जाए कि वह एक-दो साल तक निकल ही न पाए. पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाता रहे. दूसरा ये कि कम समय के लिए कोई पत्थर आए. धरती का आधा या एक चक्कर लगाकर निकल जाए. ये कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों का हो सकता है.

पहले भी देखे जा चुके हैं मिनी मून 
आपको मालूम हो कि मिनी मून पहले भी देखे जा चुके हैं और कई शायद किसी की नजर में नहीं आए. कुछ धरती के करीब दोबारा भी आ चुके हैं, जिनमें क्षुद्रग्रह 2022 NX1, सबसे पहले 1981 में मिनी-मून बनकर धरती के करीब आया था. फिर 2022 में यह घटना दोबारा हुई थी. 1991 VG, 2022 NX1 और इस बार वाला 2024 PTS धरती की ग्रैविटी में फंसे हुए हैं. दुनियाभर के वैज्ञानिक इस मिनी-मून के आने का इंतजार कर रहे हैं. इसके रास्ते और व्यवहार की स्टडी में लगे हैं. 2024 PT5 के 2055 में पृथ्वी की कक्षा में फिर लौटने की उम्मीद है.

कैसे बनते हैं चांद 
आपको मालूम हो कि चांदों के बनने के कई तरीके हैं. कुछ चांद ग्रहों के गठन के समय बचे हुए मलबे से बनते हैं, जबकि कुछ अन्य ग्रहों से टकराने वाले उल्कापिंडों से बनते हैं. कुछ चांद ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण बल में फंसे हुए छोटे पिंड भी हो सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी का चंद्रमा 4.51 अरब वर्ष पुराना है. ऐसा माना जाता है कि इस चंद्रमा का निर्माण पृथ्वी और मंगल ग्रह के आकार के एक अन्य छोटे ग्रह के बीच टकराव के दौरान हुआ था. इस प्रभाव से निकला मलबा पृथ्वी के चारों ओर एक कक्षा में एकत्रित होकर चंद्रमा का निर्माण हुआ. हम चंद्रमा (Moon) को ही उपग्रह कहते हैं. सौर मंडल में कई ग्रहों के पास अपने प्राकृतिक उपग्रह हैं, जो उन्हें खास बनाते हैं.

किन ग्रहों के पास हैं उपग्रह
सौरमंडल में कुल नौ ग्रह हैं. ये सभी सूर्य का चक्कर लगाते हैं. सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति यानी जुपिटर है. हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है और इसके पास 95 उपग्रह यानी चांद हैं. इनमें से गनिमेड सबसे बड़ा चांद है, जो बुध से भी बड़ा है. शनि ग्रह के पास सबसे ज्यादा चांद हैं. शनि (Saturn) के पास 145 उपग्रह हैं. अरुण यानी यूरेनस (Uranus) के पास 27 चांद हैं. वरुण यानी नेपच्यून (Neptune) के पास 14 चांद हैं. मंगल (Mars) के पास 2 चांद हैं. जिनके नाम फोबोस और डिमोस हैं. प्लूटो (Pluto) के पास 5 चांद हैं. बुध (Mercury) और शुक्र (Venus) के पास कोई उपग्रह नहीं है.