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Study on Nightmares: हर बार बुरे सपने आना नहीं है नॉर्मल, हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत

चार लोगों में से एक ने हैलुसिनेशन होने की बात कही. जबकि ज्यादातर ने संकेत दिया कि उन्हें ऐसा तब हुआ जब उनमें बीमारी की शुरुआत हुई. तीन में से एक मरीज ने ल्यूपस होने से पहले परेशान करने वाले बुरे सपनों का अनुभव किया था.

Nightmares (Photo/Unsplash) Nightmares (Photo/Unsplash)
हाइलाइट्स
  • 600 से ज्यादा लोगों पर हुई स्टडी 

  • हैलुसिनेशन और बुरे सपनों का आना 

हम सोते हुए सपने देखते हैं. ये सपने अच्छे या बुरे दोनों हो सकते हैं. हम इन सपनों को ज्यादा सीरियस भी नहीं लेते हैं. लेकिन हाल में हुई एक स्टडी के मुताबिक हमें इन्हें सीरियस लेना चाहिए. ज्यादा बुरे सपने आना भी ठीक नहीं है. अगर किसी को ज्यादा बुरे सपने आते हैं, तो ये बीमारी का संकेत हो सकता है. 

600 से ज्यादा लोगों पर हुई स्टडी 

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और किंग्स कॉलेज लंदन ने इस स्टडी को ल्यूपस से पीड़ित 676 लोगों पर किया है. ल्यूपस एक ऐसी बीमारी जिसमें इम्यून सिस्टम हमारे टिश्यू और शरीर के दूसरे अंगों पर हमला करता है. साथ ही 400 चिकित्सकों का भी सर्वे किया गया.

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स्टडी में मरीजों से डिप्रेशन, हैलुसिनेशन और बैलेंस न बना पाना जैसे 29 न्यूरोलॉजिकल और मेंटल हेल्थ से जुड़े सवाल किए गए. इंटरव्यू में, मरीजों से उस हिसाब से इन सभी को लिस्ट में लिखने के लिए कहा गया जिस हिसाब जिस हिसाब से ये लक्षण आमतौर पर होते हैं.

हैलुसिनेशन और बुरे सपनों का आना 

चार में से एक से भी कम लोगों ने हैलुसिनेशन होने की बात कही. जबकि ज्यादातर ने संकेत दिया कि उन्हें ऐसा तब हुआ जब उनमें बीमारी की शुरुआत हुई. तीन में से एक मरीज ने ल्यूपस होने से पहले परेशान करने वाले बुरे सपनों का अनुभव किया था. न्यूज वेबसाइट इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, एक मरीज ने अपने बुरे सपनों को भयानक बताया. उन्हें मर्डर से जुड़े सपने आते थे.

ल्यूपस के लक्षण क्या हैं? 

एनएचएस के अनुसार, ल्यूपस के कई लक्षण हैं. जैसे-

-जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द

-आराम करने के बाद भी थकान रहना. 

-शरीर में लाल निशान, जो अक्सर सूरज के संपर्क में आने के बाद दिखाई देते हैं. 

- सिरदर्द.

-मुंह के छालें.

-बालों का झड़ना.

-वजन घटना.

-डिप्रेशन और चिंता.

-सीने या पेट में दर्द.

-सर्दी, प्रेशर या एंग्जायटी होने पर उंगलियों और पैर की उंगलियों के रंग में बदलाव.

डॉक्टरों की भूमिका

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्राथमिक देखभाल विभाग के प्रमुख लेखक डॉ. मेलानी स्लोअन ने कहा कि डॉक्टर को अपने मरीज से इन सब पर बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "मरीजों को अक्सर पता होता है कि कौन से लक्षण एक बुरा संकेत हैं कि उनकी बीमारी बढ़ने वाली है. लेकिन मरीज और डॉक्टर दोनों, बीमारी का पता चलने के बाद मेंटल हेल्थ से जुड़ी चीजों पर बात नहीं करते हैं. लेकिन ये बीमारी की जड़ जानने का एक जरूरी हिस्सा हो सकता है.