
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में कदम रखते ही देशवासियों को याद किया और वीडियो कॉल के ज़रिए अपने अनुभव शेयर किया. शुभांशु ने अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ गुरुवार सुबह Axiom-4 मिशन के तहत सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की यात्रा शुरू की.
वीडियो कॉल में शुभांशु ने कहा, "नमस्कार! मैं फिलहाल Zero Gravity के माहौल में खुद को ढालने की कोशिश कर रहा हूं। यह ठीक वैसा ही अनुभव है जैसे कोई बच्चा चलना सीख रहा हो और दुनिया को नए नजरिए से देख रहा हो. मैं इस पल को पूरी तरह से महसूस कर रहा हूं. मेरे साथ हमेशा तिरंगा है, जो मुझे यह याद दिलाता है कि पूरा भारत मेरे साथ है. यह मिशन न केवल मेरे लिए, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम और आगामी गगनयान मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. मैं चाहता हूं कि देश का हर नागरिक इस मिशन को अपना माने और गर्व महसूस करे."
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि शुभांशु की यह यात्रा भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक और मील का पत्थर साबित हो रही है, जो आने वाले वर्षों में भारत के अंतरिक्ष मिशनों की दिशा को मजबूती देगी. साथ ही, इस सफलता ने भारत के अपने स्पेस स्टेशन के सपने को भी पंख दिए हैं. आपको बता दें कि वर्तमान में दो एक्टिव स्पेस स्टेशन हैं और उम्मीद है कि आने वाले एक दशक में भारत का अपना एक स्पेस स्टेशन होगा.
अपोलो प्रोग्राम के खत्म ने के बाद, वैज्ञानिकों ने गहरे अंतरिक्ष अभियानों से ध्यान हटाकर पृथ्वी की नज़दीकी कक्षा (ऑर्बिट) की ओर केंद्रित किया. अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष यात्रा की तैयारी के लिए एक सीढ़ी के रूप में काम करते हैं. ये स्टेशन Low Earth Orbit में परिक्रमा करते हैं और आमतौर पर अंतरिक्ष में एक्सपेरिमेंट्स के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं जैसे कि शून्य गुरुत्वाकर्षण (zero gravity) में मानव शरीर पर लंबे समय में क्या प्रभाव पड़ेगा.
1. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS)
ISS सबसे प्रसिद्ध और सबसे बड़ा अंतरिक्ष स्टेशन है, जो 1998 में बनना शुरू हुआ था. इसे अमेरिका, रूस, जापान, यूरोपीय संघ और कनाडा ने साझेदारी में विकसित किया है. साल 2000 से यह एक्टिव है और साल 2023 तक 11 लोग इसमें जाकर रह चुके हैं. इस स्पेस स्टेशन में आखिरी नया मॉड्यूल 2021 में जोड़ा गया.
ISS अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का बेहतरीन उदाहरण है. यह रूस के पुराने "मीर" स्टेशन के हटने के बाद से पृथ्वी की कक्षा में सबसे बड़ा आर्टिफिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर है.
2. चीन का तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन (Tiangong Space Station - TSS)
चीन ISS का हिस्सा नहीं है, बल्कि उसने अपने खुद के अंतरिक्ष स्टेशनों का विकास किया है. सबसे पहले तियांगोंग-1 (2011–2013) बनाया गया जो 2013 में डीकमीशन हो गया यानी इस्तेमाल से बाहर हो गया. साल 2018 में यह स्टेशन वायुमंडल में जलकर नष्ट हो गया.
इसके बाद तियांगोंग-2 (2016–2019) को विकसित किया गया जो साल 2019 में वायुमंडल में फिर से आने पर जल गया. वहीं. तियांगोंग स्टेशन (TSS) जून 2022 से एक्टिव है. 2023 में, एक साथ 17 लोग अंतरिक्ष में थे, जिनमें 6 TSS पर थे. TSS चीन का प्रमुख स्टेशन है, जो अनुसंधान और प्रयोगों के लिए लगातार विस्तार कर रहा है.
कब होगा भारत का अपना स्पेस स्टेशन?
भारत ने 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च करने की योजना बनाई है, जिसे "भारत अंतरिक्ष स्टेशन" कहा जाएगा. लगभग छह महीने पहले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसके बारे में घोषणा की थी. इसके साथ ही, भारत 2040 तक अपने अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी में भी है.