
वैसे तो धरती पर अनेकों नायाब नमूने हैं. इन सब में इंसानी दिमाग भी आता है. लेकिन इंसान के मरने के साथ ही इंसान का दिमाग भी मर जाता है. लेकिन क्या हो अगर इंसान का दिमाग शरीर के मरने के बाद भी अपनों के बीच जिंदा रहे और इस तरह कोई कभी मरे ही ना.. बात चौंकाने वाली जरूर है लेकिन आने वाले जमाने में हो सकता है यही सच हो. क्योंकि ऐसी सोच का दावा टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क ने किया है. फोर्ब्स की अरबपतियों की लिस्ट में इस बार पहले नंबर पर आए मस्क ने कहा है कि एक दिन ऐसा आएगा जब इंसान अपने दिमाग को रोबोट में डाउनलोड कर सकेंगे. इस तरह इंसान हमेशा के लिए जीने में कामयाब हो पाएंगे.
मस्क ने इस सिलसिले में कहा कि, ‘मुझे लगता है कि यह मुमकिन है. हमें लगता है कि जो चीजें हमें अनूठा बनाती हैं, हम उन चीजों को डाउनलोड कर सकते हैं. दूसरे शरीर में होकर भी इंसानी दिमाग को जिंदा रखना और किसी एक शख्सियत को सहेज कर रखना सच हो सकता है जिसे आज तक हम जादूई मानते आए हैं.
पहले के मुकाबले इंसानी दिमाग काफी विकसित हो चुका है. मानव चेतना को किसी कृत्रिम शरीर में डाउनलोड कर जीवन को बढ़ाने की कल्पना दशकों से विज्ञान से जुड़ी काल्पनिक कहानियों का हिस्सा रही है.1964 में आए उपन्यास ‘ड्यून’ में ऐसे प्राणियों को ‘साइमेक्स’ नाम दिया गया था. विशेषज्ञों का मानना है कि ‘माइंड अपलोडिंग’ तकनीक एक दिन मुमकिन हो सकती है. हालांकि ये तय नहीं है कि ऐसा कब होगा. प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान के प्रो. माइकल एसए ग्राजियानो ने वॉल स्ट्रीट जरनल में लिखा था कि माइंड अपलोडिंग के लिए दो तकनीक की जरूरत होगी: कृत्रिम मस्तिष्क, और व्यक्ति के मस्तिष्क का स्कैन, जिससे यह आंका जा सके कि इसके न्यूरॉन कैसे एक-दूसरे से जुड़ते हैं. ग्राजियानो के मुताबिक, कृत्रिम मस्तिष्क बनाना अपेक्षाकृत आसान होगा.
मस्क वर्तमान स्टार्ट-अप न्यूरालिंक ‘ब्रेन-मशीन इंटरफेस’ विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं. मस्क के मुताबिक, एक दिन लोग अपनी यादों का बैकअप रख सकेंगे और याद्दाश्त को फिर हासिल कर सकेंगे.