![रियूजेबल लॉन्च व्हीकल रियूजेबल लॉन्च व्हीकल](https://cf-img-a-in.tosshub.com/lingo/gnt/images/story/202301/rlv-sixteen_nine.jpg?size=948:533)
अंतरिक्ष के क्षेत्र में किसी यान का प्रक्षेपण बहुत मंहगा काम है. दरअसल इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि एक बार उपयोग में लाया जाने वाला प्रक्षेपण यान दूसरी बार किसी उपयोग के लायक नहीं रहता और यहां तक कि उसका कोई भी हिस्सा वापस भी नहीं मिलता क्योंकि प्रक्षेपण यान सैटेलाइट को अपनी जगह पर पहुंचाने के बाद पृथ्वी के किसी महासागर में गिर जाता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में दुनिया के स्पेस एजेंसी रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल पर काम कर रही हैं. अब इसरो भी इसका परीक्षण कर रहा है.
इसरो अपनी रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल की लैंडिंग का परीक्षण करने जा रहा है. यह व्हीकल अभी टेक्नोलॉजी डिस्प्ले के दौर में चल रहा है. यह यान नासा के स्पेस शटल की तरह है जो अमेरिकी स्पेस एजेंसी के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा के लिए सैटेलाइट पहुंचाने वाला सबसे भारी यान हुआ करता था.
यह इसरो का पहले लैंडिंग परीक्षण होगा. इससे भारत रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल को उपयोग की दिशा में बहुत बड़ा कदम माना जाएगा. इससे केवल सैटेलाइट भेजने के अलावा अंतरिक्ष यात्रियों को भी अंतरिक्ष में भेजा जा सकेगा. इसरो का यह इस साल का पहला सबसे बड़ा परीक्षण भी माना जा रहा है.
क्यों खास है ये व्हीकल?
रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल को विकसित करने के पीछे मुख्य उद्देश्य लॉन्च बाजार में मजबूती से खड़ा होना है, जिस पर आज स्पेसएक्स का प्रभुत्व है. एलोन मस्क के नेतृत्व वाली कंपनी ने 2022 में अपने रीयूजेबल लॉन्च प्रणाली के दम पर 61 सफल व्हीकल लॉन्च किए और 2023 में उन संख्याओं को 100 तक बढ़ाने की योजना है. इसरो इस बाजार को टारगेट कर रहा है और एक रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल इसे दूर तक ले जाएगा.