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वैज्ञानिकों का दावा, इस डिवाइस की मदद से दिमाग में चल रही बात का आसानी से लगाया जा सकेगा पता

ये डिवाइस 6 प्रतिशत एरर रेट के साथ लगभग 29 शब्दों को एक मिनट में डिकोड करता है. वैज्ञानिकों ने सबसे पहले स्ट्रोक के शिकार एक 20 वर्षीय शख्स पर इसका प्रयोग किया था.

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हाइलाइट्स
  • दिमाग में चल रही तरंगों को वाक्यों में बदलता है उपकरण

  • नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में शोध प्रकाशित

वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसके जरिए दिमाग में चल रही बात का पता लगाया जा सकता है. अमेरिका के शोधकर्ताओं का दावा है कि वे लकवाग्रस मरीजों के बिना कुछ कहे उनके दिमाग में चल रहे 1100 से ज्यादा शब्दों को पढ़ लिया है. मरीजों ने इन शब्दों को सिर्फ अपने मन में ही सोचा था.

ब्रेन इंटरफेस की मदद से हुआ संभव

सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ने न्यूरोप्रोस्थेटिक उपकरण विकसित किया है, जो दिमाग की तरंगों को वाक्यों में बदल देता है. इस शोध के प्रमुख लेखक शॉन मेत्सगर ने बताया कि पिछले साल यूसीएसएफ के शोधकर्ताओं की टीम ने बताया था कि ब्रेन इंटरफेस नाम का कंप्यूटर दिमाग में में चल रहे 50 बहुत ही सामान्य शब्दों का अनुवाद कर सकता है.

हर मिनट में 26 कैरेक्टर डिकोड

वैज्ञानिक 9 हजार से ज्यादा शब्दों का शब्दकोश भविष्य में बनाने की योजना बना रहे हैं. नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन के मुताबिक न्यूरोप्रोस्थेटिक उपकरण  की मदद से 26 कैरेक्टर हर मिनट में डिकोड किए जा सकते हैं. इतना ही नहीं 1150 शब्दों को नई तकनीक के माध्यम से वैज्ञानिक आसानी से पढ़ने में समझ थे. हालांकि अभी इस तकनीक पर और काम किए जाने की जरूरत है. मेत्सगर ने बताया, अगर मरीज कैट कहने की कोशिश कर रहा है तो वह चार्ली अल्फा टैंगो कहेगा. ये उपकरण स्पैलिंग इंटरफेस लैंग्वेज मॉडलिंग का इस्तेमाल कर रियल टाइम में डाटा जुटाती है. वैज्ञानिकों ने सबसे पहले स्ट्रोक के शिकार एक 20 वर्षीय शख्स पर इसका प्रयोग किया था.