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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बनाई नई कैंसर वैक्सीन, टेस्ट में 88% तक ट्यूमर रोकने में सफल, कैंसर से बचाने के लिए इम्यून सिस्टम को करेगी ट्रेन

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई कैंसर वैक्सीन बनाई है जो कई प्रकार के ट्यूमर को रोकने में कारगर साबित हो सकती है. चूहों पर किए गए शुरुआती परीक्षणों में यह वैक्सीन कुछ ट्यूमर के खिलाफ 88 प्रतिशत तक प्रभावकारी रही.

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कैंसर से बचाव के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई उम्मीद जगा दी है. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई वैक्सीन तैयार की है जो कई तरह के कैंसर से बचाव कर सकती है. चूहों पर हुए शुरुआती परीक्षणों में इस वैक्सीन ने कुछ कैंसर प्रकारों में 88% तक प्रभावशीलता दिखाई है.

वैक्सीन कैसे काम करती है?
यह वैक्सीन ठीक उसी तरह काम करती है जैसे किसी वायरस से बचाव के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन. फर्क बस इतना है कि यह वैक्सीन शरीर की इम्यून सिस्टम को ट्यूमर सेल्स को पहचानने और उन पर हमला करने के लिए ट्रेन करती है.

इसमें मौजूद नैनोपार्टिकल्स (Nanoparticles) कैंसर सेल्स के एक खास हिस्से को एंटीजन के रूप में शरीर में पेश करते हैं. यह एंटीजन हमारे इम्यून सिस्टम को एक खतरे का संकेत देता है. इसके साथ एक खास तरह का सुपर एडजुवेंट जोड़ा गया है, जो इम्यून सिस्टम को और ज्यादा एक्टिव बना देता है.

चूहों पर परीक्षण में हैरानी वाले नतीजे
पहले टेस्ट में वैज्ञानिकों ने चूहों को मेलानोमा कैंसर (स्किन कैंसर) के लिए बनाई वैक्सीन दी. कुछ हफ्तों बाद जब उन्हें मेलानोमा सेल्स के संपर्क में लाया गया, तो वैक्सीन लेने वाले 80% माउस पूरे 250 दिनों तक ट्यूमर-फ्री रहे. इसके उलट, जिन्हें वैक्सीन नहीं दी गई थी, वे सभी सिर्फ 7 हफ्तों में मर गए.

दूसरे टेस्ट में वैज्ञानिकों ने एक जनरल एंटीजन का इस्तेमाल किया, जिसे ट्यूमर लाइसेट कहा जाता है. यह टूटे हुए कैंसर सेल्स का मिक्सचर होता है, जो इम्यून सिस्टम को अलग-अलग प्रकार के कैंसर के खिलाफ अलर्ट कर सकता है. इस वैक्सीन को देने के बाद माउस को तीन तरह के कैंसर से एक्सपोज किया गया.

  • पैंक्रियाटिक कैंसर

  • ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर

  • मेलानोमा


नतीजे फिर शानदार रहे. पैंक्रियाटिक कैंसर में 88%, ब्रेस्ट कैंसर में 75%, और मेलानोमा में 69% माउस पूरी तरह ट्यूमर-फ्री रहे.

सुपर एडजुवेंट बना गेमचेंजर
टीम की लीड रिसर्च प्रभानी अटुकोराले ने कहा, 'हमने नैनोपार्टिकल्स को इस तरह डिजाइन किया कि वे इम्यून सिस्टम को कई रास्तों से एक्टिव करें और कैंसर-विशिष्ट एंटीजन के साथ मिलकर ट्यूमर को बढ़ने से रोक दें. नतीजे बेहद उत्साहजनक हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि असली फर्क इस सुपर एडजुवेंट ने बनाया है, जो दो अलग-अलग इम्यून बूस्टर को लिपिड नैनोपार्टिकल्स में एक साथ कैद करता है. इससे शरीर का बचाव तंत्र कैंसर सेल्स पर तेजी से हमला करता है.'

इंसानों पर ट्रायल अगला कदम
फिलहाल यह रिसर्च सिर्फ चूहों पर हुई है. इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि यही नतीजे इंसानों में भी मिलेंगे. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तरीका कई अलग-अलग कैंसर प्रकारों के लिए काम कर सकता है. अगर आगे के ट्रायल्स सफल रहे तो यह वैक्सीन न सिर्फ कैंसर के इलाज में, बल्कि उच्च जोखिम वाले लोगों में इसके बचाव के लिए भी कारगर साबित हो सकती है. यह रिसर्च जर्नल Cell Reports Medicine में प्रकाशित हुई है.