Older people Wakes Up Early 
 Older people Wakes Up Early अगर आप अपने घर में किसी बुजुर्ग यानी दादा-दादी, नाना-नानी के साथ रहते हैं तो आपने जरूर गौर किया होगा, वे सूरज निकलने से पहले ही उठ जाते हैं. क्या कभी सोचा है इसके पीछे की साइंस क्या है और वे लोग घर के बाकी लोगों की तुलना में जल्दी क्यों उठ जाते हैं? ज्यादातर बुजुर्गों को रात में जागने और फिर से सोने में परेशानी होती है. यूरिन के लिए उठना हो या फिर किसी लंबी बीमारी से दर्द के कारण सोने में कठिनाई...उम्र बढ़ने के साथ -साथ हमारे सोने के पैटर्न में भी काफी बदलाव होते हैं.
उम्र के साथ कम रिस्पॉन्स करता है दिमाग
उम्र बढ़ने की प्रक्रिया हमारे शरीर के स्वाभाविक रूप से सोने और जागने के समय को प्रभावित कर सकती है. नींद के पैटर्न में बदलाव के पीछे एक कारण यह है कि उम्र बढ़ने के साथ हमारा दिमाग कम रिसपॉन्स करता है. इंद्रियों के प्रति हमारे दिमाग की प्रतिक्रियाएं उम्र बढ़ने के कारण पहले जैसी नहीं रहती हैं. यह हमारे समय की समझ को बाधित करता है और बुजुर्गों को ये समझने में परेशानी होती है कि 24 घंटे में वो कितना काम करते हैं.
टाइम को समझने में होती है दिक्कत
बढ़ती उम्र के साथ काफी चीजें बदलती हैं. नींद पैटर्न के अलावा भी काफी कुछ बदलता है. इसके पीछे बस एक कारण नहीं हो सकता है. युवा रात को सोने से आधे घंटे पहले भी खाते हैं तो कोई दिक्कत नहीं. लेकिन बुजुर्ग लोगों को अपने पेट की स्थिति देखते हुए काफी पहले खाना पड़ता है. चूंकि बुजुर्ग समय को सही ढंग से समझने में असमर्थ होते हैं, इसलिए वे अपने बच्चों या पोते-पोतियों की तुलना में जल्दी थक जाते हैं और इसलिए वे बाकी लोगों की तुलना में जल्दी उठते हैं.
Light Stimulation है जिम्मेदार
उम्र बढ़ने के साथ-साथ आंखों की रोशनी में भी कमी आती है. उम्र के साथ आने वाले दृष्टि परिवर्तन हमारे दिमाग को मिलने वाली light stimulation की तीव्रता को कम करते हैं. ये light stimulation हमारी सर्केडियन क्लॉक को सेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसलिए बुजुर्गों को किसी भी चीज को देखने में परेशानी होती है. इसलिए मोतियाबिंद से पीड़ित हो जाते हैं. अगर आप अच्छी नींद लेने चाहते हैं तो बहुत जल्द न सोएं और बहुत जल्दी उठने की कोशिश भी न करें. 
इस स्थिति से निपटने के लिए क्या करें
सूर्यास्त से 30 से 60 मिनट पहले देर शाम को खुद को तेज रोशनी में रखें. आप सूर्यास्त से पहले बाहर टहलने, आईपैड पर किताब पढ़कर या टीवी देखकर ऐसा कर सकते हैं. ये ब्राइट रोशनी आपके दिमाग को बताएगी कि सूर्य अभी डूबा नहीं है. ये जल्दी मेलाटोनिन उत्पादन को रोकने में मदद करेगा और आपके स्लीप सायकल को ठीक कर सकता है.