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दिमागी कसरत के बाद ब्रेन खुद ही साफ कर सकता है इसमें जमा कचरा

जानवरों पर हुई इस रिसर्च में पाया गया है कि फ्लूड ब्रेन सेल्स से बने वेस्ट प्रोडक्ट्स जैसे कि बीटा-एमिलॉइड और अल्फा-सिंक्यूक्लिन (जोकि अल्जाइमर रोग और पार्किंसंस रोग का कारण बनते हैं) को बाहर निकालने में मदद करता है.

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हाइलाइट्स
  • इस तरह साफ होगा दिमाग में जमा कचरा

  • वैज्ञानिकों ने खोज निकाला तरीका

अगर आपके दिमाग में भी बेकार चीजें आकर जमा हो जाती हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है. आपका दिमाग खुद ही इस वेस्ट प्रोडक्ट को बाहर निकालने में सक्षम है. हालांकि इसके लिए आपको दिमागी कसरत करने की जरूरत होगी. वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में एक नए ह्यूमन बॉडी सिस्टम की खोज की है. यह शारीरिक संरचना ब्रेन वेस्ट (Waste Disposal System) को डिस्पोज करने का काम करती है. 

दिमागी कसरत के बाद माइंड में मौजूद Waste Disposal System काम करना शुरू कर देता है. कुछ समय पहले तक इसे केवल नींद के दौरान सक्रिय करने के बारे में सोचा गया था, लेकिन अब शोधकर्ताओं ने इसे जागने के दौरान दिमागी कसरत करने वाले लोगों में भी देखा है.

वेस्ट प्रोडक्ट को बाहर निकालेगा दिमाग

Massachusetts में बोस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लौरा लुईस कहते हैं, ये खोज एक Tantalising संकेत देता है कि लोग दिमागी कसरत के बाद अपने दिमाग से वेस्ट प्रोडक्ट को बाहर निकालने में सक्षम हो सकते हैं. हैरानी की बात ये है कि इसे जागते हुए लोगों में भी देखा गया है. दिमाग के वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम में Cerebrospinal fluid (CSF) को पंप किया जाता है और ग्लाइम्फेटिक सिस्टम नाम के फाइन ट्यूब के जरिए से छोड़ा जाता है. इसे 2012 में खोजा गया था.

फ्लूड निकालता है ब्रेन सेल्स से बने वेस्ट प्रोडक्ट्स

जानवरों पर हुई इस रिसर्च में पाया गया है कि फ्लूड ब्रेन सेल्स से बने वेस्ट प्रोडक्ट्स जैसे कि बीटा-एमिलॉइड और अल्फा-सिंक्यूक्लिन (जोकि अल्जाइमर रोग और पार्किंसंस रोग का कारण बनते हैं) को बाहर निकालने में मदद करता है. Chamber में आने वाले फ्लूड ग्लाइम्फेटिक सिस्टम के माध्यम से बाहर निकलता है. Fluid फ्लो को बढ़ावा देने से दिमाग के स्वास्थ्य में कैसे सुधार हो सकता है इस पर रिसर्च अभी जारी है. हालांकि इंसानों में ये सिस्टम कैसे काम करता है, यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है.

कैसे की गई रिसर्च

रिसर्च में शामिल 20 लोगों को स्कैनर के अंदर स्क्रीन देखने के लिए कहा गया जो ब्रेन एक्टिविटी के कारण एक पैटर्न दिखाता है. शॉर्ट ब्रेक के अलावा लगभग एक घंटे के लिए डिस्प्ले को 16-सेकंड के अंतराल पर चालू और बंद किया गया था. पैटर्न दिखाने के दौरान ब्रेन विजुअल के ब्लड सर्कुलेशन में बढ़ोतरी देखी गई. जब स्क्रीन काली हो गई तो ब्लड सर्कुलेशन भी कम हो गया और दिमाग में सीएसएफ का सर्कुलेशन बढ़ गया.

हालांकि सवाल अभी भी है कि क्या फ्लूड सीधे दिमाग के सेल्स में जाता है या वह वेंट्रिकल में घूमता है. लेकिन इतना तो निश्चित है कि इसका दिमाग के बाकी हिस्सों में मौजूद फ्लूड पर प्रभाव पड़ता है. फ्लूड फ्लो में हुए इन परिवर्तनों के प्रभाव को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि यह कैसे दिमाग की सेहत को प्रभावित करता है.