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धरती पर होगी चतुर्भुज उल्का पिंड की बौछार! इस तरह देख सकेंगे आग के गिरते गोले के नजारे

अधिकांश उल्का बौछारें धूमकेतुओं से उत्पन्न होती है, लेकिन चतुर्भुज उल्का की उत्पत्ति 2003 EH1 नामक क्षुद्रग्रह से हुई है. सूर्य की परिक्रमा करने में क्षुद्रग्रह को 5.52 वर्ष लगते हैं और जब पृथ्वी इस क्षुद्रग्रह द्वारा छोड़े गए कणों से गुजरती है, तो हमें बौछार दिखाई देती है.

फोटो: नासा फोटो: नासा
हाइलाइट्स
  • उल्का पिंड के गिरने की गति 41 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी

  • प्रति घंटे 80 उल्का पिंड आसमान से टूटकर गिरते हुए देख सकेंगे

5 जनवरी की रात 2 बजे चतुर्भुज उल्का पिंड की बौछार होगी और आप प्रति घंटे 80 उल्का पिंड को आसमान से टूटकर धरती पर गिरते हुए देख सकेंगे. नासा की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक इसकी गति 41 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी. चतुर्भुज उल्का पिंड सबसे चमकदार उल्का पिंड में से एक है जो 28 दिसंबर से लेकर 12 जनवरी तक सक्रिय रहते हैं.

चतुर्भुज उल्का बौछार को क्या यूनिक बनाता है?
अधिकांश उल्का बौछारें धूमकेतुओं से उत्पन्न होती है, लेकिन चतुर्भुज उल्का की उत्पत्ति 2003 EH1 नामक क्षुद्रग्रह से हुई है. सूर्य की परिक्रमा करने में क्षुद्रग्रह को 5.52 वर्ष लगते हैं और जब पृथ्वी इस क्षुद्रग्रह द्वारा छोड़े गए कणों से गुजरती है, तो हमें बौछार दिखाई देती है. ये मलबे के रास्ते तब बिखर जाते हैं जब वे हमारे वायुमंडल से टकराते हैं और आकाश में दिखाई देने वाली उग्र धारियां बनाते हैं.

ऐसे देख सकेंगे नजारा
अगर आपको ये नजारा देखना है तो शहर की रोशनी वाले प्रदूषण से दूर किसी खुली जगह या ऊंचाई वाले जगह पर चले जाएं. इस दौरान फोन का इस्तेमाल नहीं करें क्योंकि फोन की रोशनी के साथ आसमान की रोशनी को आंखों से एडज्सट नहीं कर पाएंगे या इसमें दिक्कत होगी. रात दो बजे के बाद आपको आसमान में इस अतरंगी आतिशबाजी का नजारा देखने को मिल सकता है.

वर्चुअल टेलीस्कोप प्रोजेक्ट 2.0 बुधवार सुबह 5:15 बजे एक लाइव स्ट्रीम करेगा. रोम से उल्का पिंड की बौछार की शूटिंग करेगा.

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