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Babies born from 3 people: मां से बच्चों में नहीं जाएगी रेयर जेनेटिक बीमारी, ब्रिटेन में पहली बार 3 लोगों के डीएनए से पैदा हुए बच्चे

Babies born from 3 people: मां-बाप से बच्चों में रेयर जेनेटिक बीमारी नहीं जाएगी. ब्रिटेन में पहली बार 3 लोगों के डीएनए से बच्चे पैदा हुए हैं. इसके लिए सबसे पहले माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन ट्रीटमेंट (एमडीटी) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया.

Babies born from 3 people DNA Babies born from 3 people DNA
हाइलाइट्स
  • जेनेटिक बीमारियों से बचाने में कारगर है ये तकनीक 

  • पहला केस 2018 में अप्रूव किया गया था 

तीन लोगों के डीएनए से पहली बार ब्रिटेन में बच्चे पैदा हुए हैं. डॉक्टरों ने एक नए तरह के आईवीएफ (IVF) प्रोसीजर का इस्तेमाल करके ये कारनामा किया है. दरअसल, बच्चे को रेयर जेनेटिक बीमारी से बचाया जा सके इसके लिए ही तीन लोगों के डीएनए से बच्चे पैदा किए गए हैं. ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एम्ब्रियोलॉजी अथॉरिटी ने बुधवार को पुष्टि की कि ब्रिटेन में पांच से कम बच्चे इस तरह पैदा हुए हैं.

जेनेटिक बीमारियों से बचाने में कारगर है ये तकनीक 

गार्जियन के मुताबिक, इसके लिए सबसे पहले माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन ट्रीटमेंट (एमडीटी) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया. इसमें स्वस्थ महिला डोनर्स के एग्स से टिश्यू का उपयोग हानिकारक म्यूटेशन के बिना आईवीएफ भ्रूण बनाने के लिए किया जाता है. 2015 में इस प्रक्रिया को अनुमति देने वाला ब्रिटेन पहले देश बन गया था. जिन महिलाओं को माइटोकॉन्ड्रिया से जुड़ी परेशानी होती हैं, वे आगे होने वाले बच्चों में भी इसको पास कर सकती हैं. जिसके कारण बच्चे को जेनेटिक डिसऑर्डर वाली परेशानियां हो सकती हैं.  

अब दो साल बाद, ब्रिटेन की न्यूकैसल यूनिवर्सिटी इस प्रोसेस को करने वाली अधिकृत पहली यूनिवर्सिटी या सेंटर बन गई है. 

पहला केस 2018 में अप्रूव किया गया था 

बताते चलें इस तरह के पहले केस को 2018 में मंजूरी दी गई थी. अब 3 डीएनए वाले बच्चों के होने के बाद रेगुलेटर्स ने कहा है कि शामिल परिवारों की पहचान की संभावना से बचने के लिए जन्मों की संख्या "पांच से कम" रखी गई. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस तरह की प्रक्रिया से बच्चों में उनके माता-पिता से होने वाली जेनेटिक बीमारियों से बचाया जा सकता है. 

रेयर जेनेटिक डिजीज से बच्चों को बचाया जा सकता है 

रेयर जेनेटिक डिजीज में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, मिर्गी, हृदय की समस्याएं और बौद्धिक अक्षमता जैसी बीमारियां हो सकती हैं. ब्रिटेन में पैदा होने वाले 200 बच्चों में से एक माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर के साथ पैदा होता है. इस तरह के ट्रीटमेंट को प्राप्त करने के लिए 32 रोगियों को मंजूरी दी गई है.
इससे पहले 2016 में, यूएस-आधारित डॉक्टरों ने घोषणा की थी कि उन्होंने इस तरह की टेक्नोलॉजी का उपयोग करके दुनिया का पहला बच्चा पैदा किया है.